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7 रुपये का दिहाड़ी करने वाला राजू साहनी आज 170 लोगों को दे रहा रोजगार, बिहार से लेकर असम तक छठी मैया का जगा रहा अलख


मिथिला पब्लिक न्यूज, कमलेश झा ।

समस्तीपुर जिले के उजियारपुर प्रखंड के छोटे से गाँव कमला के एक गरीब परिवार में जन्म लिए रामश्रेष्ठ साहनी के पुत्र राजू साहनी आज युवाओं के प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। कड़ी मेहनत और लगन निष्ठा ने उन्हें फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया है। 7 रुपये का दिहाड़ी करने वाला आज 170 लोगों को रोजगार दे रहा है। हम बात कर रहे हैं उस राजू साहनी की जिन्हें दैनिक जागरण द्वारा आयोजित ‘रतन उत्तर बिहार’ अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर के द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया था।


हम आज आपको राजू साहनी नाम के उस सख्शियत से रूबरू करा रहे हैं, जिसका भगवान भास्कर और छठी मैया के प्रति असीम श्रद्धा है। जो बिहार से लेकर असम तक छठी मैया का अलख जगा रहे हैं। छठव्रतियों की सेवा में हर साल लाखों रुपए खर्च भी कर देते हैं। वर्तमान में असम के गुवाहाटी में साहनी कांवरिया संघ के महामंत्री हैं। गुवाहाटी में इन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी स्थित भूतनाथ बांसघाट पर छठ पूजा समिति के नाम से एक सामाजिक संस्था की शुरुआत की है। जहां लाखों रुपए खर्च कर प्रत्येक वर्ष छठ घाट का निर्माण कराते हैं, वहां रह रहे हजारों बिहारी उस घाट पर छठ पूजा करते हैं। छठ घाट का निर्माण, घाट की सजावट, लाइट की व्यवस्था, छठव्रतियों के सुविधा के लिए पंडाल, सौंदर्यीकरण, पेयजल एवं शौचालय आदि की व्यवस्था वे अपने निजी कोष से करते हैं। करें भी क्यों नहीं भगवान भास्कर ने उनकी मनोकामनाएं जो पूर्ण की है।

असम में मजदूरी करने वाले राजू साहनी आज इतना सामर्थ्यवान हो गये हैं कि वह छठव्रतियों की सेवा में हर साल लाखों रुपये खर्च कर सकते हैं। राजू ने हर साल की भांति इस साल भी गुवाहाटी के साथ साथ अपने पैतृक गांव भगवानपुर कमला पंचायत के देवखाल चौर स्थित कमला घाट, लखनीपुर महेशपट्टी पंचायत के वार्ड 10 से 13 तक, परोरिया, रायपुर, पतेली पश्चिमी पंचायत में भी छठ घाट का निर्माण कराया है। लखनीपुर महेशट्टी पंचायत में सामाजिक कार्यकर्ता संजिव कुमार बबलू, शंभू पौदार, रंजन कुमार, राहुल कुमार पासवान, अरविंद कुमार, संजय कुमार साहनी, बैजू साहनी एवं वार्ड पार्षद हरेंद्र साहनी उर्फ छोटू का इन्हें सहयोग मिल रहा है। रायपुर पंचायत में चल रहे कार्य में सरपंच पति जगदीश चौधरी, वार्ड पार्षद उपेन्द्र साहनी, महाकांत झा, जिला पार्षद अरुण महतो व उपसरपंच सुनील साह महती भूमिका निभा रहे हैं।

परोरिया पंचायत में मुखिया श्रीराम साह उर्फ मनोज साह एवं प्रभात कुंवर के सहयोग से छठ घाट पर लाइटिंग, साफ़-सफाई, सांउड सिस्टम, स्नान घर, टावर लाइट सज्जा की संपूर्ण व्यवस्था की जा रही है। लखनीपुर महेशपट्टी में संजीव कुमार बबलू, शंभू पोद्दार, रंजन कुमार, राहुल कुमार पासवान, अरविंद कुमार, संजय कुमार साहनी, बैजू साहनी का उन्हें सहयोग मिल रहा है। राजू साहनी बताते हैं कि भगवानपुर कमला पंचायत में संपूर्ण साफ सफाई, स्नान घर निर्माण, टावर लाइट सज्जा, साउंड सिस्टम लगाए जा रहे हैं। 22 जगहों पर तोरणद्वार बनाये जा रहे हैं। सुर्य देव एवं छठी मईया की 15 मुर्तियां घाट पर स्थापित की जा रही है।

भगवानपुर कमला पंचायत छठ पूजा घाट पर देख-रेख की जिम्मेदारी उनके पिता राम श्रेष्ठ साहनी के साथ चंद्रकांत सिंह, सरपंच पति जयराम साहनी, ललीत सिंह, श्रीराम साहनी, सुखलाल साहनी, राकेश साहनी, सुरेन्द्र महतो, कौशल किशोर सिंह, कपिल पासवान, संजित राम, रामु साहनी, बटोरन साहनी, बिन्दा साहनी आदि ने उठा रखी है। पतैली पश्चिमी पंचायत के सूरजपुर में छठ घाट सजावट की जिम्मेदारी वरुण साह, धनिक लाल सिंह, मुकेश कुमार, विजय रजक, राकेश राज, कृष्णदेव सिंह, राजकुमार सिंह, राजाराम सिंह, देवेन्द्र प्रसाद सिंह, लाल देव सिंह, रंजीत कुमार सिंह को सौंपी गई है।


राजू के अनुसार जब वह अपने गाँव में छठ महापर्व के दौरान छठव्रतियों को गंदे जलाशयों में बिना समुचित व्यवस्था के अंधेरे में अर्घ्य अर्पित करते देखते थे, तो उन्हें बहुत पीड़ा होती थी। वह सोचते थे कि पूरे ब्रह्मांड को अपनी रोशनी से आलोकित करने वाले देवता की पूजा अंधकार में क्यों हो। इतनी कठिनाईयों में पूजा होता देख उनका मन विचलित हो उठता था। वह अक्सर सोचते कि काश वह व्रतियों के लिए कुछ कर पाते। इसी बीच उन्होंने एक दिन सूर्यदेव से यह मन्नत मांगी कि, उन्हें इतना सामर्थ्यवान बनाएं कि, वह अकेले छठ व्रतियों के लिए पूरी व्यवस्था कर सकें। नियति ने अपने समय चक्र में बदलाव किया और राजू सहनी को गुवाहाटी ले गया। जहां अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में संसार को झंझावातों को झेलते हुए उसने मजदूरी शुरू की। शुरू के तीन महीने तो उन्होंने सिर्फ रहने और खाने के एवज में मजदूरी की। रहने खाने के बाद उसे 7 रुपया रोज के हिसाब से पैसा दिया गया।इसके बाद उन्हें एक कम्पनी के भले आदमी ने काम दिया और कम्पनी में सुपरवाइजर बना दिया। धीरे-धीरे व्यवसाय में बदलाव होता गया और आज सफलता उसकी कदम चूमती है।

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