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काव्य गोष्ठी : नर में नारायण का दर्शन जिसके दिल में वास करे, उसकी नजरों में एक जैसा काशी और मदीना है


मिथिला पब्लिक न्यूज, कमलेश झा ।
केन्द्रीय विद्यालय समस्तीपुर के समीप स्थित कुसुम सदन के प्रांगण में रविवार को काव्य संध्या का भव्य आयोजन किया गया। कुसुम पाण्डेय स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में इस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया था। जिसमें कवि एवं रचनाकारों ने अपनी-अपनी कविता, रचना, भजन-गज़ल एवं हास्य व्यंग के फुहार से लोगों को घंटों बांधे रखा। खासकर “नर में नारायण का दर्शन जिसके दिल में वास करे, उसकी नजरों में एक जैसा काशी और मदीना है। दवा बिक रही हैं, दुआ बिक रही है, नये दौर में अब हवा बिक रही है। विशेषताएं बहुत हैं इस वोट के लोकतंत्र में, वोट झपटने के इस करामाती मंत्र में, हर पांच साल में हम ऊंगली रंगते रह जाते हैं, और एक नया फकीर फिर शहंशाह बन जाता है।” कवियों के इन रचनाओं ने खूब तालियां बटोरी।

इस काव्य गोष्ठी में दूर-दूर से बड़ी संख्या में रचनाकार उपस्थित हुए। डॉ रामेश गौरीश ने उपस्थित सभी रचनाकारों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी तथा मैथिली साहित्य के सुप्रसिद्ध रचनाकार डॉ नरेश कुमार विकल तथा संचालन प्रवीण कुमार चुन्नू एवं राज कुमार राय राजेश ने किया। इस अवसर पर रेल के पूर्व राजभाषा अधिकारी भुवनेश्वर मिश्र भी विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे थे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष शिवेंद्र कुमार पाण्डेय ने मई महीने में उत्पन्न हिन्दी साहित्य के आधार स्तम्भ डॉ केदारनाथ लाभ, डॉ डी आर ब्रह्मचारी, डॉ सुरेन्द्र प्रसाद, लक्ष्मण शाहाबादी, सुमित्रानंदन पंत, शरद जोशी, गुरु देव रवीन्द्रनाथ ठाकुर, कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, जिंदा कृष्ण मूर्ति के कृतित्व तथा व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए उनके प्रति भावभीनी श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जी का स्मरण कराती रचनाएं, भजन गज़ल, हास्य व्यंग के साथ ही भोजपुरी, मैथिली की रचनाएं मुख्य रूप से आकर्षण के केंद्र में रहीं।

कार्यक्रम का प्रारंभ राज कुमार चौधरी के चित्ताकर्षक मां सरस्वती की आराधना से की गई। गोष्ठी में राज कुमार राय राजेश, रामाश्रय राय राकेश, राज कुमार चौधरी, काविश जमाली, प्रवीण कुमार चुन्नू, शिवेंद्र कुमार पाण्डेय, रामलखन यादव, शुभम कुमार,भुवनेश्वर मिश्र, डॉ राम सूरत प्रिय दर्शी, विष्णु कुमार केडिया, दीपक कुमार श्रीवास्तव, डॉ अशोक कुमार सिन्हा, डॉ नरेश कुमार विकल, पप्पू राय दानिश, आफताब समस्तीपुरी, मो जावेद, दिनेश प्रसाद, अमलेन्दु कुमार त्रियार, सौम्य कुमार विभु, नरेंद्र कुमार सिंह त्यागी, स्मृति झा, ई सच्चिदानंद सिंह, अरुण कुमार सिंह मालपुरी आदि की रचनाएं खूब पसंद की गई। कार्यक्रम के मध्य में इस संस्थान के आधार स्तम्भ दिनेश प्रसाद को प्रशस्ति पत्र चादर पाग माला पुस्तक आदि से सम्मानित किया गया। समापन शैलजा कनिष्ठा के धन्यवाद ज्ञापन से की गई।

कुछ रचनाकारों की विशिष्ट पंक्तियां :
राज कुमार राय राजेश :
नर में नारायण का दर्शन जिसके दिल में वास करें,
उसकी नजरों में एक जैसा काशी और मदीना है।
भुवनेश्वर मिश्र :
रात चंदा मुझे फिर बुलाने लगा, याद तेरी मुझे फिर दिलाने लगा। नींद टूटी तो नजरों से देखा यही, बादल तुम को मुझसे छिपाने लगा ।।
डॉ राम सूरत प्रियदर्शी :
अहि ठाम पहिले उगैथ सूरुज देव, कौवा बाजे कांव यौ। लहरि लहरि लहराए कोयलिया, ओहि ठाम हमर गाम यौ।।
डॉ नरेश कुमार विकल :
लगता छूट ही जायेगा अब, प्यारा सा मेरा गांव।
सुबह की सुनहली धूप, सलोनी शाम की वह छांव।।
शिवेंद्र कुमार पाण्डेय :
विशेषताएं बहुत हैं इस वोट के लोकतंत्र में, वोट झपटने के इस करामाती मंत्र में। हर पांच साल में हम ऊंगली रंगते रह जाते हैं, और एक नया फकीर फिर शहंशाह बन जाता है।।


आफताब समस्तीपुरी :
पागल सा हो गया हूं मैं तेरे प्यार में,
कुछ भी नहीं है अब मेरे अख्तियार में।
स्मृति झा :
अंतर में जब तम छाए जाए, आंखें सही देख न पाए
हिय में भाव गलत ही आए, तब सीधा उल्टा दिख जाए।
पप्पू राय दानिश :
दवा बिक रही हैं,दुआ बिक रही है,नये दौर में अब हवा बिक रही है।
विष्णु कुमार केडिया :
आसमान से देखा आग बरस रही है, सारी जनता गर्मी में झुलस रही है।
राज कुमार चौधरी :
नेताजी आये हैं, भीड़ जुटाएं हैं, पर मूड देखकर वोटर का वो शरमाए हैं।

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