मिथिला पब्लिक न्यूज़, डेस्क रिपोर्ट ।
जननायक ने सिर्फ गरीब गुरबों एवं पिछड़ों के लिए ही नहीं समाज के हर तबके के उत्थान के लिए काम किया था. उनके कामों को भुलाया नहीं जा सकता है. मैं वर्ष 2007 से ही उन्हें भारत रत्न देने की मांग कर रहा था. लेकिन देर से ही सही केंद्र सरकार ने मंगलवार की शाम भारत रत्न देने की घोषणा कर दी. इसके लिए केंद्र सरकार धन्यवाद का पात्र है. उक्त बातें बुधवार को समस्तीपुर में जननायक कर्पूरी ठाकुर के जन्म शताब्दी समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जननायक कर्पूरी ठाकुर के सौवें जन्मदिन पर आयोजित राजकीय समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. कार्यक्रम का शुभारंभ पितोझिया स्थित स्मृति भवन से हुआ. स्मृति भवन पर सर्वधर्म सभा का आयोजन किया गया था. जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अतिथियों के साथ भाग लिया. सर्वधर्म प्रार्थना सभा में सभी धर्म के अनुयायी मौजूद थे. प्रार्थना के उपरांत जननायक के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
इसके बाद मुख्यमंत्री ने स्थानीय विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन के साथ कर्पूरी ठाकुर के जीवन पर आधारित एक स्मारिका का भी लोकार्पण किया. स्मृति भवन पर आयोजित सर्वधर्म सभा का संचालन नगर पालिका के उपमुख्य पार्षद राम बालक पासवान कर रहे थे. इस सभा को रोसड़ा विधायक वीरेंद्र कुमार, विभूतिपुर विधायक अजय कुमार, पूर्व मंत्री रामाश्रय सहनी सहित कई नेताओं ने सम्बोधित किया. इसके उपरांत गोखुल कर्पूरी फूलेश्वरी डिग्री महाविद्यालय पहुंच कर वहां कर्पूरी जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके उपरांत रामदुलारी इंटर कॉलेज फील्ड में बनाये गये हैलीपैड पर पहुंचे और पत्रकारों से बात करने के बाद पटना के लिए निकल गए.
यहां बता दें कि समस्तीपुर ही नहीं बिहार के लिए भी आज दोहरी खुशी की बात है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री गुदरी के लाल जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के सौवें जन्मदिन से एक दिन पहले उन्हें देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की गयी है. 75वें गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रपति भवन की ओर से मंगलवार को भारत रत्न का ऐलान किया गया है. सरकार के इस घोषणा से पूरे बिहार में हर्ष का आलम है. जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के पांचवें सपूत हैं, जिन्हें ‘भारत रत्न’ से नवाजा जायेगा.
कर्पूरी ठाकुर देश के 49वें और बिहार के पांचवें हस्ती होंगे जिन्हें यह सम्मान मिलेगा. कर्पूरी ठाकुर से पहले बिहार में जन्म लेने वाले शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद एवं डॉ विधानचंद्र रॉय को यह सम्मान मिल चुका है.
स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार में 2 बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को उनकी लोकप्रियता की वजह से जननायक और गुदरी का लाल कहा जाता है. उन्हें भारत रत्न देने का यह ऐलान ऐसे समय किया गया जब देश में कल बुधवार को उनकी जन्म शताब्दी मनाई जा रही है. उनका जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर में हुआ था. वह एक नाई परिवार से थे. उनके पिता गोखुल ठाकुर एक साधारण किसान थे. कर्पूरी ठाकुर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने चंद्रधारी मिथिला कॉलेज दरभंगा से इंटरमीडिएट की. कर्पूरी ठाकुर छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रहे.
उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और जेल भी गये. जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया. सन 1952 में कर्पूरी ठाकुर पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए. वो सोसलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़े और जीते भी. इसके बाद वे लगातार चार बार विधानसभा के सदस्य चुने गए. वर्ष 1967 में उन्हें बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया गया. 1970 में कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने.