मिथिला पब्लिक न्यूज़, समस्तीपुर ।
“समस्तीपुर पुलिस आपकी सेवा में तत्पर” इस स्लोगन के झांसे में मत जाइये साहब. ई तो बस दिखावे के हैं. धरातल पर सच्चाई तो कुछ और ही है. इन्हें आपकी “सेवा” से कोई ताल्लुकात नहीं, इन्हें तो बस आपकी “मेवा” से मतलब है. ऐसा लगता है कि समस्तीपुर में पुलिस विभाग के कुछ नुमाइंदे पुलिसिंग की ही लुटिया डुबोने पर तुले हुए हैं. साहब! अब आप ही बताइये एक तरफ आप समस्तीपुर पुलिस की छवि को सुधारने के लिए जी जान से लगे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ आपके अधिकारी ही विभाग की छवि खराब करने में कोई कसर बांकी नहीं रख रहे हैं. अपराधियों पर शिकंजा कसने और अपराध पर लगाम लगाने के बजाय घटना को झूठा बताना, उसे छोटा बता कर उन पर पर्दा डालना, लूट, छिनतई एवं रंगदारी जैसी बड़ी घटनाओं में भी केस दर्ज करने में आनाकानी करना इनकी दिनचर्या बन चुकी है.
आप ही बताइये पहले किसी मामले में शिकायत दर्ज की जाती थी, ततपश्चात उसका अनुसंधान और फिर अभियुक्त पकड़े जाते थे. लेकिन अब तो स्थिति यह है कि घटना का उद्भेदन हो गया और अभियुक्त पकड़े गये तो शिकायत दर्ज की जाती है. कुछ ऐसा ही एक ताजा मामला जिले के मुसरीघरारी थाना में सामने आया है. जहां रंगदारी और जान से मार देने की धमकी दिए जाने के गंभीर मामले में पुलिस ने शिकायत के करीब डेढ़ महीने बाद एफआईआर दर्ज की है. और वह भी तब जब अपराधी पकड़े गए.
इतना ही नहीं एक दिन में ही घटना का खुलासा एवं घटना को अंजाम देने वाले अभियुक्त की गिरफ्तारी भी हो गयी. प्रेसवार्ता कर मीडिया में वाहवाही भी बटोरी गयी. जब मीडिया कर्मियों ने एफआईआर में होने वाले विलंब के कारणों को जानने का प्रयास किया तो पीड़ित पक्ष पर ही आवेदन विलंब से देने का आरोप लगाकर पुलिस पदाधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया. लेकिन यह गले से उतड़ने वाली बात तो थी नहीं. इसलिए हमारी टीम ने इसके तह तक पहुंचने का प्रयास किया, तो मामला चौंकाने वाला निकला.
घटना कुछ यूँ है :
मुसरीघरारी पुलिस ने हुंडई की लग्जरी कार (वरना) और 5 लाख रुपए रंगदारी मांगने के जिस मामले की प्राथमिकी संख्या-(216/23) 29 दिसंबर 2023 को दर्ज की. घटना 16 नवंबर की बतायी गयी. एफआईआर में 16 नवंबर से लेकर 24 नवंबर तक लगातार पीड़ित एवं उसके भतीजे के मोबाइल पर व्हाट्सएप मैसेज और कॉलिंग कर बदमाशों द्वारा रंगदारी की मांगने का जिक्र भी है. लेकिन एफआईआर 29 दिसंबर को दर्ज की गयी. जबकि उस घटना की शिकायत 17 नवंबर 2023 को ही की गयी थी.
घटना के पहले दिन ही की शिकायत :
घटना के पहले दिन ही मुसरीघरारी थानाध्यक्ष को लिखित आवेदन दिया गया. उसके बाद कई बार फोन पर भी इसकी सूचना दी, लेकिन उस समय थानाध्यक्ष ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय उसे मोबाइल नंबर बदल लेने और बदमाशों के नम्बर को ब्लॉक कर देने की नसीहत दी. आलम यह था कि पीड़ित और उसका भतीजा डर के मारे घर से बाहर निकलना तक छोड़ दिया था. वह कॉलेज तक जाना बंद कर दिया था.
एसपी से लेकर मंत्री तक लगायी गुहार :
पीड़ित सोनू कुमार बताते हैं कि
थानाध्यक्ष तो एफआईआर करने को तैयार ही नहीं हो रहे थे. एफआईआर दर्ज नहीं किये जाने पर उसने 24 नवंबर को एसपी के जन शिकायत कोषांग में भी इसकी शिकायत की थी. जब एसपी से शिकायत करने के बाद भी उसे न्याय नहीं मिला तो थक हार कर उसने स्थानीय विधायक सह मंत्री विजय चौधरी से इस मामले की शिकायत की. मंत्री के पहल के बाद थानाध्यक्ष ने उसे एक दिन फोन कर बुलाया और आवेदन पर साइन करवा कर कहा कि आपके शिकायत पर काम हो रहा था, अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पीड़ित का तो यह भी कहना है कि पुलिस ने इस मामले में दो अभियुक्त को गिरफ्तार किया था. जिसमें एक अभियुक्त को छोड़ दिया गया.
क्या ऐसे होगा पुलिसिंग में सुधार :
साहब! आप कहते हैं कि थाने पर शिकायत लेकर पहुंचने वालों को हाथोंहाथ आवेदन का रिसीविंग दिया जाय, यहां डेढ़ महीने बाद एफआईआर किया जा रहा. आपकी महिला सिपाही आपके ही विभगीय अधिकारियों से तंग आकर सुसाइड कर लेती है, उस मामले को दबा दिया जाता है. सेक्टर जवानों की कारगुजारियों को छिपा दिया जाता है. क्या ऐसे में पुलिस की छवि में सुधार आयेगा? क्या ऐसे में आपकी पुलिस आम लोगों का विश्वास जीत पायेगी?
क्या कहते हैं थानाध्यक्ष :
शुरुआती दौर में मैसेज के मार्फ़त गालीगलौज किया जा रहा था. इसलिए पीड़ित के द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं कराया गया था. बात बढ़ते बढ़ते जब रंगदारी और जान से मारने की धमकी तक पहुंच गयी तब उसने (पीड़ित) एफआईआर दर्ज करवाया.
पंकज कुमार, थानाध्यक्ष, मुसरीघरारी
क्या कहते हैं एएसपी :
घटना की सूचना पर पुलिस काम कर रही थी. पीOड़ित एफआईआर दर्ज करना नहीं चाह रहा था. इस वजह से एफआईआर में विलंब हुआ. मैं खुद इस मामले के अनुसंधान का मोनेटरिंग कर रहा था और घटना का उद्भेदन भी किया. अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया.
संजय कुमार पांडेय, एएसपी, समस्तीपुर।